आत्मानुभूति का प्रकटीकरण शेषमणिजी का “गीता मानस “
“गीता मानस ” | पुस्तक समीक्षा ( Gita Manas : Book Review ) इस सृष्टि के नियन्ता सर्व शक्तिमान परमपिता परमात्मा सत् चित आनन्द स्वरूप है। यह जीव इन्हीं परमात्मा का अंश होने के कारण ईश्वर के गुण, जीव के अन्दर दृष्टिगोचर होते हैं। यह जीव भी अपनी मूल सत् चित व आनन्द स्वरूप…