हाँ खायी जीस्त में ठोकर बहुत है | Sad Shayari
हाँ खायी जीस्त में ठोकर बहुत है ( Haan khayi jeest mein thokar bahut hai ) हाँ खायी जीस्त में ठोकर बहुत है जिग़र पे इसलिए नश्तर बहुत है मुहब्बत का अपनें ने कब दिया गुल नफ़रत के ही मारे पत्थर बहुत है ! किसी को प्यार क्या देगे भला वो मुहब्बत…