उन्हीं पर हक़ नहीं अब तो हमारा | Haq Shayari

उन्हीं पर हक़ नहीं अब तो हमारा | Haq Shayari

उन्हीं पर हक़ नहीं अब तो हमारा ( Unhi par haq nahin ab to hamara )    यहाँ सब आइने टूटे हुए हैं ख़ुदी में लोग यूँ डूबे हुए हैं अभी उतरी नहीं शायद ख़ुमारी जो अपने आप में खोये हुए हैं बहारों का करें क्या ख़ैर मक़दम वो अपने आपसे रूठे हुए हैं उन्हीं…