Jazbaat poetry

जज्बात | Jazbaat poetry

जज्बात ( Jazbaat )   मचलते दिल में कुछ अरमान मेरे, जग रही ही अब। दबा था दिल जो वो प्यास शायद, जग रही ही अब।   तरन्नुम में कहु तो, हाल ए दिल बेचैन है दिलवर, तुम्ही पे मर मिटू हुंकार ये चाहत, जग रही है अब।   ये रातें नाग बनकर डंस रही…

Jazbaat shayari

जज़्बात | Jazbaat shayari

जज़्बात ( Jazbaat )   राख हुये एहसासों को हवा न दो कहीं भड़क न जाये सुलगता शरारा कोई   दफन हो चाहे जिस्म कब्र में मगर सुना है भटकती रूहें कुछ ज्यादा जज्बाती हो जातीं हैं.. लेखिका :- Suneet Sood Grover अमृतसर ( पंजाब ) यह भी पढ़ें :- सोच चुप है | Soch shayari