Jazbaat ghazal

वो कभी ज़ज्बात दिल के यार समझा नहीं | Jazbaat ghazal

वो कभी ज़ज्बात दिल के यार समझा नहीं ( Wo kabhi jazbaat dil ke yaar samjha nahi )     वो कभी ज़ज्बात दिल के यार समझा नहीं मुझसे देखो वो कभी भी प्यार से मिलता नहीं   छोड़कर वो बीच सफ़र में ज़ा चुका है तन्हा ही पूरा उससे ही मुहब्बत का किया फेरा…

Jazbaat shayari

जज़्बात | Jazbaat shayari

जज़्बात ( Jazbaat )   राख हुये एहसासों को हवा न दो कहीं भड़क न जाये सुलगता शरारा कोई   दफन हो चाहे जिस्म कब्र में मगर सुना है भटकती रूहें कुछ ज्यादा जज्बाती हो जातीं हैं.. लेखिका :- Suneet Sood Grover अमृतसर ( पंजाब ) यह भी पढ़ें :- सोच चुप है | Soch shayari