झूठ घरों पर काबिज़ था | Jhooth Shayari
झूठ घरों पर काबिज़ था ( Jhooth gharon par kaabij tha ) झूठ घरों पर काबिज़ था करना यूँ नाजाइज़ था साथ न दे वो मुश्किल में रब अपना तो हाफ़िज़ था झूठ फ़रेबी था दिल से समझा जिसको वाइज़ था चाहे वो जो काम ग़लत मंजूर न वो हरगिज़…