Karva chauth par kavita

करवा चौथ मनाऊ मै | Karva chauth par kavita

करवा चौथ मनाऊ मै ( Karva chauth manaun main )   करवा चौथ मनाऊं मै करवे को सजाऊ मैं गणेश का पूजन कर दूर्वा उन्हें चढ़ाऊ मैं एड़ी में लगा आलता सिंदूर मांग सजाऊ मै पांव में बिछिया माथे बिंदी मेहंदी हाथ रचाऊ मै लाल चुनरिया ओढ़ के गीत खुशी के गाऊ मै धूप दीप…

Karva chauth poem

ग़रीब स्त्री का करवाचौथ | Karva chauth poem

ग़रीब स्त्री का करवा चौथ ( Garib stree ka karva chauth )     सुबह से भूखी-प्यासी रहकर ही पहनकर फटे-पुराने चीर, करती बेसुहाता-सा हार-श्रृंगार, अनमने मन से काम पर चली जाती, दिन भर दौड़-धूप करती फिर दोपहर बाद ही घर चली आती।   घर आकर बच्चों और सास-ससुर को खाना खिलाती, पुनः सज-संवरकर शाम…

Karwa Chauth kavita 2021

करवा चौथ | Karwa Chauth kavita

करवा चौथ ( Karwa Chauth ) ( 3 )  मेरे जीवन की चांदनी, तुझको लगता हूं चंद्र प्रिये। रोम रोम में स्नेह रश्मियां, भीगी सुधारस रंध्र प्रिये। दिल से दिल के तार जुड़े, सुरों का संगम भावन हो। मैं मनमौजी बादल हूं, तुम मधुर बरसता सावन हो। सौम्य सुधा सुधाकर पाओ, करती हो उपवास प्रिये।…