kundaliya chhand

सूर्य अस्त होने लगा | कुण्डलिया छंद | Kundaliya chhand ka udaharan

सूर्य अस्त होने लगा ( Surya ast hone laga )   सूर्य अस्त होने लगा, मन मे जगे श्रृंगार। अब तो सजनी आन मिल, प्रेम करे उदगार।। प्रेम करे उदगार, रात को नींद न आए। शेर हृदय की प्यास, छलक कर बाहर आए।। आ मिल ले इक बार, रात्रि जब पहुचे अर्ध्य। यौवन ऐसे खिले,…

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दीप जलाए प्रेम के | Kundaliya chhand

दीप जलाए प्रेम के ( Deep jalaye pyar ke : kundaliya chhand )   दीप जलाए प्रेम के,पावन है अति पर्व। अनुरंजन वंदन करें,आज सभी को गर्व।   आज सभी को गर्व,जगत फैला उजियारा। बढ़े  परस्पर  प्रेम, बढ़ाएं  भाईचारा।   लक्ष्मी  देव  गणेश, आरती  मंगल  गाये। खुशियां मिले अपार ,प्रेम के दीप जलाये।     …