लबों पर रोज़ ये चर्चा रहा है | Ghazal
लबों पर रोज़ ये चर्चा रहा है ( Labon par roz ye charcha raha hai ) लबों पर रोज़ ये चर्चा रहा है उसी से अब नहीं रिश्ता रहा है नहीं वो पास में ये ही सही अब ग़ज़ल मैं याद में सुनता रहा है मिली है कब वफ़ा सच्ची किसी…
लबों पर रोज़ ये चर्चा रहा है ( Labon par roz ye charcha raha hai ) लबों पर रोज़ ये चर्चा रहा है उसी से अब नहीं रिश्ता रहा है नहीं वो पास में ये ही सही अब ग़ज़ल मैं याद में सुनता रहा है मिली है कब वफ़ा सच्ची किसी…