हमें न ज़ोर हवाओं से आज़माना था

Ghazal | हमें न ज़ोर हवाओं से आज़माना था

हमें न ज़ोर हवाओं से आज़माना था ( Hame Na Zor Hawaon Se Aazmana Tha )   हमें   न  ज़ोर  हवाओं  से  आज़माना  था वो कच्चा धागा था उसको तो टूट जाना था   वो मेरे ज़हन में ढलता गया ग़जल की तरह मेरा  मिज़ाज  ही  कुछ  ऐसा  शायराना  था   हज़ारों फूल से खिलते…

मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे

Ghazal Mushkil tha Daur | मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे

मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे ( Mushkil Tha Daur Aur Sahare Bhi Chand The )   मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे मैं फिर भी जीता क्यूं कि इरादे बुलंद थे   राहें  निकाली मैंने वहां से कई नयीं देखा जहां पहुंच के सब रस्ते बंद थे   समझा तमाम…

करो शिकवा किसी से मत ग़मों को झेलना सीखो

Ghazal | करो शिकवा किसी से मत ग़मों को झेलना सीखो

करो शिकवा किसी से मत ग़मों को झेलना सीखो ( Karo Shikawa Kisi Se Mat Gamon Ko Jhelna Sikho)   कभी शिकवा नहीं करना ग़मों को झेलना सीखो। लिखा  तकद़ीर में रब ने उसी से जूझना सीखो।।   जो होता है उसे मर्जी खुदा की मान लेना तुम। सदा ही अपनी मर्जी को परे तुम…