मुस्कुराना छोड़ दूं | Muskurana Chhod Doon
मुस्कुराना छोड़ दूं ( Muskurana chhod doon ) वो ख़फ़ा गर हैं तो क्या मैं मुस्कुराना छोड़ दूं। खौफ़ से उनके मैं क्या नग़मे सुनाना छोड़ दूं। ठीक है सरकार की नज़रे इनायत चाहिए क्या मगर इसके लिए सारा जमाना छोड़ दूं। लाख कोशिश की मगर फिर भी नहीं खुश है कोई क्या करूं…