आह ग़म की रोज़ मिलती खूब है | Sad ghazal
आह ग़म की रोज़ मिलती खूब है ( Aah gam ki roz milti khoob hai ) आह ग़म की रोज़ मिलती ख़ूब है! आँखें रहती रोज़ गीली ख़ूब है ए ख़ुदा भर दें ख़ुशी दिल में मेरे रहती दिल में ग़म की गाह जलती ख़ूब है नफ़रतों के ख़ंजर मारे है इतने…