पागल | Pagal Bhojpuri kavita
” पागल “ ( Pagal ) दरद के आग बा ओके दिल में, रोये ला दिन रात देख- देख के लोग कहेला, पागल जाता बडबडात रहे उ सिधा साधा, माने सबके बात लूट लेलक दुनिया ओके, कह के आपन जात आज ना कवनो बेटा-बेटी, नाही कवनो जमात नाही पाकिट में एगो रोपया,…