Pita par kavita in Hindi

पिता | Pita par kavita in Hindi

पिता ( Pita )   वह तो नहीं है पर याद बहुत आती है आगे बढ़ो खुश रहो हर पल जियो यह मेरे कानों में आवाज आती है गूंजते है शब्द उनके पापा जैसे पास खड़े पलक बंद करूं तो छवि मुस्कुराती है कितने दिन हो गए बरसो ही गुजर गए आज भी मुझे मेरे…

Pita par kavita

पिता | Pita par kavita

पिता ( Pita : Kavita )   रोज सवेरे निकल पड़ता पिता परिवार की खातिर कठिन परिश्रम पसीना बहाता घर संसार की खातिर   बच्चों की शिक्षा ऊपर से मोटी फीस का चक्कर बारिश के मौसम में होती टूटे छप्पर की फिकर   जीवन भर पूरी करता रहता सारी फरमाइशें घर की लगता है ऐसा…