खूब रहते अपने ख़फ़ा घर में | Poem khafa
खूब रहते अपने ख़फ़ा घर में ( Khoob rahte apne khafa ghar mein ) ख़ूब रहते अपनें ख़फ़ा घर में ! अपनों की सहते है जफ़ा घर में और तो झूठे है दिखाता सच आइना जो मेरे लगा घर में ग़म दिल में अश्क़ है निगाहों में प्यार कब अपनों से मिला…