Sab ko Apna Nahi Kaha Jata

सब को अपना नहीं कहा जाता | Sab ko Apna Nahi Kaha Jata

सब को अपना नहीं कहा जाता ( Sab ko Apna Nahi Kaha Jata )   सब को अपना नहीं कहा जाता हद से आगे नहीं बढ़ा जाता मंज़िलें दूर जा निकलती हैं रास्तों में रुका नहीं जाता घटते बढ़ते हुए यह साये हैं इन का पीछा नहीं किया जाता रास्ते ख़ुद बनाये जाते हैं सब…