Saza shayari

एक मासूम को ही सज़ा मिल गयी | Saza shayari

एक मासूम को ही सज़ा मिल गयी! ( Ek masoom ko hi saza mil gayi )     एक मासूम को ही सज़ा मिल गयी! जीस्त भर आंसुओं की दवा मिल  गयी   भूख कैसे मिटेगी ग़रीब की भला यार  महंगाई की जब जफ़ा मिल गयी   दे गये है दग़ा पैसों के लालच में…