![Saza shayari Saza shayari](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/02/Saza-shayari-696x483.jpg)
एक मासूम को ही सज़ा मिल गयी!
( Ek masoom ko hi saza mil gayi )
एक मासूम को ही सज़ा मिल गयी!
जीस्त भर आंसुओं की दवा मिल गयी
भूख कैसे मिटेगी ग़रीब की भला
यार महंगाई की जब जफ़ा मिल गयी
दे गये है दग़ा पैसों के लालच में
कब यहाँ अपनों से ही वफ़ा मिल गयी
लॉकडाउन में भूखे रहे है ग़रीब
रहनुमा की रोठी कब दया मिल गयी
जन्म ऐसा जहाँ में वबा ने लिए
गमज़दा हर किसी को ख़ला मिल गयी
और बेरोजगारी बड़ी इस क़दर
कब ग़रीबी से देखो शिफ़ा मिल गयी
जो ग़मों से मिले राहत आज़म मुझे
जिंदगी को कब ऐसी दुआ मिल गयी