सुनाऊँ अब किसे हाले दिल अपना | Sunaoon ab Kise Haal – E – Dil Apna
सुनाऊँ अब किसे हाले दिल अपना ( Sunaoon ab kise haal e dil apna ) ख़ुशी के ज़ीस्त में साये नहीं है ! गमों के क्यों ढ़लते लम्हे नहीं है उदासी में कटे दिन इसलिये ही यहाँ दिन भी मगर अच्छे नहीं है सुनाऊँ अब किसे हाले दिल अपना यहाँ वो अब मगर रहते…