Hindi Poetry On Life | Hindi Poetry -मित्र
मित्र ( Mitra ) बाद वर्षो के कितने मिले हो मुझे, अब कहो साल कैसा तुम्हारा रहा। जिन्दगी मे कहो कितने आगे बढे, जिन्दगी खुशनुमा तो तुम्हारा रहा। मित्र तुम हो मेरे साथ बचपन का था, पर लिखा भाग्य मे साथ अपना न था। ढूँढता मै रहा हर गली मोड पर,…