मित्र

Hindi Poetry On Life | Hindi Poetry -मित्र

मित्र ( Mitra )   बाद वर्षो के कितने मिले हो मुझे, अब कहो साल कैसा तुम्हारा रहा।   जिन्दगी मे कहो कितने आगे बढे, जिन्दगी खुशनुमा तो तुम्हारा रहा।   मित्र तुम हो मेरे साथ बचपन का था, पर लिखा भाग्य मे साथ अपना न था।   ढूँढता  मै  रहा  हर  गली  मोड  पर,…

उस गली से रोज़ ही मुझको गुजरना है सदा

Romantic Ghazal -उस गली से रोज़ ही मुझको गुजरना है सदा

उस गली से रोज़ ही मुझको गुजरना है सदा   ( Us Gali Se Roj Hi Mujhako Gujarna Hai Sada )     उस गली से रोज़ ही मुझको गुजरना है सदा उम्रभर उसके बिना आज़म तड़पना है सदा   साथ उसके माजरा ऐसा हुआ है प्यार में सच कहूँ मैं अब मुझे उससे बिछड़ना…