Kavita waqt

वक़्त | Kavita waqt

वक़्त ( Waqt )   जब से छाया गुनाहों की पड़ने लगी । रूह मेरी ही मुझसे झगड़ने लगी ।।   तेज आंधी से जंगल जब हिलने लगे । सूखे पेड़ों की दम तब उखड़ने लगी ।।   मन के बीरान जंगल डराने लगे । गर्म बालू सी तबीयत बिगड़ने लगी ।।   वक़्त के…

Waqt poem in Hindi

वक्त नहीं लोगों के दामन में | Waqt poem in Hindi

वक्त नहीं लोगों के दामन में ( Waqt nahi logon ke daman mein )     वक्त नहीं लोगों के दामन में, भागमभाग है सारी। महंगाई ने पैर पसारे, डरा रही हमें नित महामारी।   चकाचौंध दिखावा ज्यादा, वादे प्रलोभन सरकारी‌। आटा दाल आसमान छूते, बीत रही जिंदगी सारी।   दिनभर की दौड़ धूप से,…