निबंध : भारत में बेरोजगारी की समस्या और समाधान

(  Unemployment problem and solution in India : Hindi essay )

 

प्रस्तावना

बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने को तैयार रहता है लेकिन उसे काम नहीं मिलता। हर देश में बेरोजगारी की परिभाषा अलग-अलग होती है।

अमेरिका में व्यक्त की योग्यता के हिसाब से नौकरी नही मिलती है तब उसे बेरोजगार कहा जाता है। हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या में निरंतर वृद्धि हुई है।

जिसका परिणाम यह है कि हमारी युवा आबादी बेरोजगार है। हमारे पास बड़ी संख्या में युवा आबादी है। यह युवा बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल किए हैं। लेकिन इसके बावजूद रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं।

नौकरी की तलाश में यह युवा दफ्तरों, अखबारों और इंटरनेट पर पड़े विज्ञापन पर अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी की खोज करते हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है।

बेरोजगारी के प्रकार ( Types of unemployment in Hindi ) :-

बेरोजगारी कई प्रकार की होती है जिसमें शिक्षित बेरोजगारी, अशिक्षित बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी और प्रछन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी जैसी स्थितियां देखने को मिलती है।

अशिक्षित बेरोजगारी में राहत इस बात की होती है कि यह होती है कि यह विकराल रूप में नहीं होती है क्योंकि अशिक्षित लोग किसी न किसी छोटे-मोटे काम धंधे को अपनाकर अपने लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर लेते हैं।

सबसे बड़ी समस्या हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारी है। जो युवा शिक्षित होते हुए बेरोजगार होते हैं वो छोटे-मोटे काम को करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

क्योंकि यह लोग मेहनत मजदूरी में अपनी योग्यता का अपमान समझते हैं, जो काफी हद तक सही भी है। आखिर से पढ़ने लिखने का क्या फायदा, जब मजदूरों वाली नौकरी करनी है।

रोजगार के लिए जब विज्ञापन निकलता है तो विज्ञापन की संख्या से ज्यादा बेरोजगार लोग होते हैं। वर्तमान समय मे द हिंदू अखबार के अनुसार भारत में 21% लोग बेरोजगार हैं।

मौसमी बेरोजगारी ( Seasonal unemployment in Hindi ) :-

जैसे कि इसके शब्द से ही स्पष्ट है कि मौसमी बेरोजगारी वर्ष में कुछ समय के लिए ही देखने को मिलती है। मुख्य रूप से मौसमी बेरोजगारी से प्रभावित उद्योगों में कृषि उद्योग, बर्फ कारखाने उद्योग आदि शामिल होते हैं।

कृषि क्षेत्र में संबंध लोग कृषि की जुताई, बुवाई, कटाई के समय रोजगार में रहते हैं। लेकिन जैसे ही यह कार्य खत्म हो जाते हैं, कृषि कार्य में संलग्न लोग बेरोजगार हो जाते हैं।

प्रच्छन्न बेरोजगारी ( Disguised unemployment in Hindi ) :-

प्रच्छन्न बेरोजगारी, बेरोजगारी की उस स्थिति को कहा जाता है जिसमें कुछ लोगों की उत्पादकता शून्य होती है। अर्थात यदि इन लोगों को रोजगार से हटा भी दिया जाए तब उत्पादन प्रभावित नहीं होता है। सबसे ज्यादा प्रछन्न बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में देखने को मिलती है।

अल्प बेरोजगारी  ( low unemployment in Hindi ) :-

जब कोई व्यक्ति जितने समय काम कर सकता है उसे उस समय का काम मिलता है, तब उस व्यक्ति को अलप बेरोजगार कहा जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति कुछ समय के लिए बेरोजगार हो जाता है।

बेरोजगारी के कारण ( Reason of unemployment in Hindi ) :-

बेरोजगारी की बढ़ती समस्या देश की प्रगति शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बनता जा रहा है। हमारे देश में बेरोजगारी अनेक कारणों से विद्यमान है –

बढ़ती हुई जनसंख्या

भारत में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति है। जिसकी वजह से कामों का उतना विकास नहीं हो पाता जितनी तेजी से जनसंख्या बढ़ती है। यही वजह है कि लोग बड़ी संख्या में बेरोजगार होते हैं। बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में रोजगार के अवसरों में वृद्धि न हो पाना भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है।

मशीनीकरण

मशीनीकरण की वजह से भी बड़ी संख्या में लोगों के हाथों से रोजगार छिन गया और वे बेरोजगार हो गए। क्योंकि कई श्रमिकों को काम मशीनें अकेले ही निपटा देती हैं।

इस तरह के रोजगार में मशीनों का इस्तेमाल कई लोगों के स्थान पर होता है। बड़े-बड़े मशीनों की जगह लघु उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है। परंतु अधिकांश लोग आधुनिकता की चकाचौंध इसे समझ नहीं पाते।

नतीजा यह है कि मशीनों की संख्या बढ़ती जा रही है और लोग बेरोजगार होते जा रहे हैं। कंप्यूटर के विकास में बेरोजगारी की समस्या को और भी अधिक बढ़ाने का काम किया।

शिक्षा व्यवस्था

स्वतंत्रता के बाद हमारी शिक्षा पद्धति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ था। यही वजह थी कि बेरोजगारी की समस्या के लिए शिक्षा व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया गया। वर्ष 2020 में नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया है। लेकिन इसके प्रभाव का असर दिखने में वक्त लगेगा।

अन्य कारण

सरकार की तरफ से घरेलू उद्योग धंधों को प्रोत्साहित न करने, बड़े-बड़े व्यापारी और कंपनियों को खरबों रुपए का लोन आसानी से देने से लोग बेरोजगार हुए हैं।

क्योंकि लघु उद्योग स्थापित करने के लिए सामान्य लोगों को कर्ज नहीं दिया जाता। यही वजह है कि लघु उद्योग धंधे विकसित नहीं हो पाते और देश में बेरोजगारी और गरीबी का संकट खड़ा हो जाता है।

बेरोजगारी की समस्या का समाधान ( Solutions of unemployment in Hindi ) :-

कहा जाता है कि प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारण में ही होता है। ऊपर कथित कारणों के प्रभाव पर रोक लगाकर बेरोजगारी की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

व्यवसायिक शिक्षा, लघु उद्योग को प्रोत्साहित करना, मशीनीकरण पर नियंत्रण स्थापित करना, जनसंख्या पर रोक लगाना आदि उपायों को शीघ्रता से अपनाकर बेरोजगारी की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

कौशल विकास योजनाएं आगे चलकर बेरोजगारी का समाधान कर सकती हैं। भारत को स्वयं कनज्ञान और नए आविष्कारों के माध्यम से इस क्षेत्र में सक्षम बनना होगा, जिससे विश्व की बड़ी कंपनियों को हमारी ताकत का पता चल सके और वह भारत में निवेश करें। हमारे देश में लोगों को कैरियर के नए अवसरों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।

भारत सरकार ने नौजवानों को आगे लाने और बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की है।

जिसमें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुद्रा लोन योजना, आवास योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, आदि शामिल है।

ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस योजनाओं से जोड़ कर आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करना होगा। ताकि वह देश का भविष्य में योगदान दे। देश से बेरोजगारी और गरीबी की समस्या का समाधान हो सके।

 

लेखिका : अर्चना  यादव

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