
निबंध – महिलाओं की समाज मे भूमिका
( Role of women in society : Hindi essay)
प्रस्तावना –
हमारे समाज में महिलाएं जन्म से लेकर अपनी मृत्यु तक अपने सम्पूर्ण जीवन मे कई किरदार निभाती हैं। वह अपने सभी किरदारों में अपने कर्तव्य को बखूबी निभाने के लिए जानी जाती हैं। आज के आधुनिक युग में महिला पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती देखी जाती हैं।
लेकिन आज भी बहुत सारी महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे हैं। समाज में आज भी लोग महिलाओं की योग्यता को पुरुषों से कमतर आंकते हैं।
सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए तथा महिला सशक्तिकरण के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम चलाये गये, लेकिन इसके बावजूद आज भी महिलाओं की जिंदगी पुरुषों के अधीन हैं। आज भी महिलाओं के जिंदगी जटिल है।
उन्हें अपनी जिंदगी का ख्याल रखने के साथ अपने परिवार का भी ध्यान रखना पड़ता है। वह अपनी पूरी जिंदगी में बेटी, बहन, पत्नी, बहु, मां जैसे कई किरदारों को निभाती हैं।
यह सभी रिश्तो को निभाने के के साथ-साथ आज कई महिलाएं नौकरियां भी कर रही हैं और अपना व अपने परिवार का साथ ही अपने देश का भविष्य उज्जवल करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
महिलाओं का उत्थान की तुलना
अगर आज की महिलाओं की अवस्था को पौराणिक समाज की अवस्था से तुलना किया जाए तो काफी अंतर देखने को मिल जाता है। आज महिलाओं की स्थिति पहले से काफी बेहतर हो गई है।
महिलाएं नौकरी करने लगी हैं और घरेलू खर्चे में भी अपना योगदान करने लगी हैं। जिससे महिलाओं का सम्मान बढ़ा है। आज महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, वह अपनी जरूरतों के लिए पुरुषों पर निर्भर नहीं है।
कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां पर महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल चुकी हैं। आज लड़कियां ऐसे ऐसे कीर्तिमान बना रही हैं जिससे वह अपने परिवार के साथ अपने समाज का और देश का नाम कर रही हैं।
महिला उत्थान के लिये सरकारी प्रयास –
स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार भी महिलाओं के उत्थान हेतु तरह-तरह के प्रयास किये। सरकार द्वारा अनगिनत योजनाएं महिला उत्थान के लिये चलाई गई। जिससे महिलाएं सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ सके और अन्य महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकें।
सरकार ने पुराने वक्त में प्रचलित कानूनों को बदलने के लिए भी कानून लगाएं। बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बाल मजदूरी, घरेलू हिंसा के खिलाफ भारत में सख्त कानून बनाए गए हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हो गया है।
आज महिलाएं अलग-अलग रिश्तो में खुद को बांधकर खुद के साथ दूसरों की भलाई के लिए भी काम कर रही हैं। लेकिन आज भी कई क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति चिंताजनक है।
शहरी क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण इलाकों में कई जगह आज भी महिलाओं की स्थिति काफी चिंताजनक है। शिक्षा की सही व्यवस्था न हो पाने के कारण आज भी लाखों महिलाएं दयनीय स्थिति में जीवन जीने को मजबूर हैं।
एक महिला एक बच्चे को जन्म देती है और अपनी सारी जिंदगी बच्चे के पीछे लगा देती है। बदले में वह कुछ भी नहीं मांगती। महिलाओं को सहनशीलता की एक मिसाल के तौर पर भी जाना जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के पिछड़ेपन का एक महत्वपूर्ण कारण शिक्षा की उचित व्यवस्था न हो पाना है। गांव में महिलाओं की जिंदगी का एक मात्र सहारा पुरुष होते हैं और पुरुष यही मानते हैं कि महिलाओं का काम घर में खाना बनाना और घर को संभालना है और पुरुषों का काम दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना है।
ऐसे माहौल में महिला सशक्तिकरण की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन आज गांव और शहरों में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
आज कई ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं समाज के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सरकार को महिलाओं के उत्थान के लिए और अधिक योजनाएं लाने और उनके विकास के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।
जिससे समाज में व्याप्त नकारात्मकता की भावना को दूर किया जा सके और महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा मिल सके।
निष्कर्ष –
कहा जाता है कि महिलाओं के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना फिर संभव नहीं है। लेकिन इसके बावजूद आज भी महिलाओं की प्रतिभा को बहुत सारे लोग नजरअंदाज कर देते हैं और उन्हें पुरुषों से कमतर मानते हैं।
देश की आधी आबादी आज भी प्रतिनिधित्व का अभाव महसूस करती हैं। महिलाओं के उत्थान के लिए महिला शिक्षा को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर किसी समाज में महिलाएं पढ़ी-लिखी नही होगी तो इससे समाज और देश का विकास बाधित होगा।
हमें यह समझना होगा कि एक महिला अनपढ़ होते हुए घर को बेहतर ढंग से संभाल सकती है। ऐसे में यदि महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह घर, परिवार, समाज और देश को भी बेहतर ढंग से संभाल सकेगी।
कहा जाता है कि महिलाएं ही परिवार बनाते हैं, परिवार से घर बनता है और घर समाज का निर्माण करता है और समाज से ही हमारे देश का निर्माण होता है। मतलब की महिलाओं के विकास के बिना देश और समाज का विकास मुमकिन नहीं है।
ऐसे में महिलाओं की क्षमता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बल्कि महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे वह अपने सपने को साकार कर सकें और देश के विकास में योगदान दे सकें।