निबंध : महिला सशक्तिकरण

( Women empowerment : Essay in Hindi )

प्रस्तावना –

महिलाओं को सशक्त होना बेहद जरूरी हो गया है। यदि वर्तमान पीढ़ी अपने अधिकारों को समझेगी, तभी आने वाली पीढ़ी में सुधार होगा और किसी भी सामाजिक संतुलित सामाजिक व्यवस्था के लिए विकास के क्षेत्र में महिला और पुरुष दोनों ही समान भागीदारी होना आवश्यक है।

सशक्त महिला सशक्त समाज देश के विकास में एक दूसरे के पूरक होते हैं। देश में महिलाओं का सशक्तिकरण होना आज बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। सवाल महिला और पुरुष का अलग होने से नहीं है न ही महिलाओं को कमतर आंकने से है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर देश की आधी आबादी को यूं ही अनदेखा कर दिया जाएगा तो उनका शोषण
होगा। ऐसे में उनके बिना समाज का विकास कैसे संभव है!

महिला एवं पुरुष दोनों ही समाज की धुरी है। किसी एक को कमजोर करके संतुलित विकास नहीं किया जा सकता। जब तक देश की आधी आबादी सशक्त नहीं होगी तब तक विकास की सही कल्पना नहीं की जा सकती है।

यह समय की मांग है और समाज की जरूरत भी की महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार मिले। महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं की अध्यात्मिक राजनैतिक सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में वृद्धि करना है।

भारत में महिलाएं शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला एवं संस्कृति, सेवा क्षेत्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अपनी भागीदारी अब करने लगी है।

सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जागरूकता ला कर बेहतर नियंत्रण के लिए प्रयास होते है तथा व्यक्ति अपने विषय में निर्णय लेने में समर्थ एवं स्वतंत्र बन जाता है।

इस दृष्टि से देखा जाए तो नारी का सशक्तिकरण एक सर्वांगीण एवं बहुआयामी दृष्टिकोण है। यह राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। एक राष्ट्र का सर्वांगीण एवं समस्त विकास तभी संभव है। जब स्त्री और पुरुष दोनों की समाज के विकास में समान भागीदारी हो।

महिला सशक्तिकरण को इस ढंग से भी कहा जा सकता है कि यह महिलाओं को शक्तिशाली बनाता है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले खुद ले सकती हैं और समाज में तथा परिवार में बेहतर ढंग से सम्हाल सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार प्राप्त होते हैं। विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिए भारतीय सरकार तरह-तरह की योजनाएं चला रही है।

महिला सशक्तिकरण (वूमेन एंपावरमेंट) अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जब आता है तो इसका जिक्र जोर जोर शोर से होता है और कहा जाता है कि देश की तरक्की करनी है तो महिलाओं को सशक्त बनाना होगा महिलाएं कितनी सक्षम है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है महिलाओं ने अपनी हिम्मत आश्रम के दम पर हर समाज और हर दौर में खुद को साबित किया है।

महिला सशक्तिकरण क्या है?

साधारण शब्दों में महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को अपनी जिंदगी का फैसला लेने की स्वतंत्रता देना तथा उनमें ऐसी क्षमता पैदा करना जिससे भी समाज में अपना सही स्थान बना सकें।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में मुख्य रूप से पांच कारण बताए हैं –
● महिलाओं में आत्मासम्मान की भावना
● महिलाओं को उनके अधिकार और उनको निर्धारित करने की स्वतंत्रता
● समानता और सभी प्रकार के संसाधनों तक पहुंच
● घर के अंदर तथा बाहर अपने स्वयं के निर्णय को जीवन को नियमित करने और नियंत्रित करने का
महिलाओं को अधिकार
● अधिक सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था बनाने में महिलाओं की क्षमता

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता –

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता सदियों से महिलाओं का पुरुषों द्वारा किया गया शोषण एवं भेदभाव से मुक्त जीवन दिलाने के लिए है। महिलाओं की आवाज को हर तरीके से दबाया जाता रहा है।

महिलाएं विभिन्न प्रकार की हिंसा तथा दुनिया भर में पुरुषों द्वारा किए गए भेदभाव का शिकार हुई है। भारत इससे
अछूता नहीं है। भारत एक ऐसा देश है जहां सदियों से विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों परंपराओं तथा प्रथाओं का विकास हुआ है।

रीत-रिवाज और परंपराएं कुछ अच्छे भी होती हैं और कुछ बुरे भी, और यह समाज का एक हिस्सा बन जाती है। एक तरफ भारत में महिलाओं को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती है, तो वहीं दूसरी तरफ मां बेटियों बहनों पत्नी तथा अन्य महिला रिश्तेदारों को बहुत कम महत्व दिया जाता है।

भारतीय घरों में देखा जाता है कि घर के अंदर और घर के बाहर महिलाओं के साथ किस तरह का बुरा व्यवहार है।
दुनिया का हर धर्म महिलाओं का सम्मान करने तथा शिष्टाचार के साथ व्यवहार करने की सीख देता है।

आधुनिक युग में समाज की सोच कितनी विकसित हुई है यह महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की कुरीतियों तथा प्रथाओं से जाना जा सकता है।

महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहे हैं। इससे निपटने के लिए समाज को अपने पुराने सोच वाले लोगों के मन में बदलाव लाना होगा।

महिला सशक्तिकरण की सूचना केवल महिलाओं की ताकत और कौशल को उनके दुखदाई स्थिति से ऊपर निकालेगा, बल्कि यह पुरुषों को महिलाओं के संबंध में शिक्षित करने तथा महिलाओं के प्रति बराबरी के साथ सम्मान और कर्तव्य की भावना पैदा करने की भी आवश्यकता है।

नारी सशक्तिकरण के बिना मानव सभ्यता का विकास अधूरा है। आज के समय में महिलाओं तथा बेटियों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है क्योंकि आज के समाज में जहां बेटियां असुरक्षित हैं। वहां वह खुद से अपने आप को परिवार तथा समाज के साथ स्वयं को सुरक्षित रख पाएंगी।

लेखिका : अर्चना  यादव

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