रॉंग नंबर (PART-4 )
# अगले_दिन_शाम_को
★★★
हम टहलने आये थे।कल की यात्रा ने हमे थका दिया था। वह लड़की और उसका नम्बर हमे अब भी याद था यद्यपि नम्बर मिलने के चांस न के ही बराबर थे तब भी हमने try किया।रवी मेरे फोन से नम्बर डायल करने लगा। मेरे फोन में टैरिफ था।
“नही मिलेगा यार!! अगर उसे हमसे बात करनी ही होती तो वह इतने दिनों में जरूर करती…वह हमें भूल गयी होगी।”मैंने कहा।
रवी ने मुझे अविश्वास से देखा।शायद उसे अब भी यकीन था कि वह हमें भूली नही होगी।
वह नम्बर try करता रहा।कुछ पलों बाद उसके चेहरे के expressions तेजी से बदले।
“Bell जा रही है..”उसने यूं रोमांचित होते हुए कहा मानो हारी हुई जंग जीत गया हो। उसने फोन स्पीकर मोड में कर दिया।
यह कुछ ऐसा था जिसका हमे पिछले 1.5 महीने से इंतजार था। हमने इसके लिए क्या नही किया।दिन में सैकड़ों बार नम्बर try किया, उस नम्बर से मिलते -जुलते कई नम्बर मिलाए, गालियां खायीं।
सिर्फ इसलिए ताकि उससे 1 बार बात हो जाये।जब भी उसका नम्बर switched off बताता..हम उदास हो जाते थे।हमने हर दिन इसी उम्मीद से उसका नम्बर try किया कि शायद आज बात हो जाय।हम चाहते हुए भी उसकी हंसी,उसकी आवाज को भुला नही पा रहे थे, यद्यपि हमे उसे बहुत पहले भूल जाना चाहिए था।
कितना आसान होता है लोगों का दिल जोड़ने के बाद दिल तोड़ देना, दिलों से खेल जाना। वह तो शायद life में आगे बढ़ चुकी होगी लेकिन हम वहीं खड़े थे जहां उसने हमें 1 jan को छोड़ा था…उसकी यादों, बातों को लिए हुए..न आगे बढ़ पा रहे थे न पीछे।
हां!! यही रास्ता तो था, ऐसी ही तो एक शाम थी जब उससे हमारी बातें हुईं थीं। वह शाम हमारे लिए यादगार बन गयी थी। उस दिन हम कितना खुश थे।
Bell जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि उससे अब तक के सारे गिले शिकवे कह डालें। उसे बताएं कि हमने उसे कितना मिस किया है।
“Hello!!कौन? “किसी महिला की आवाज सुनाई दी। रवी ने फोन मुझे दे दिया।
“जी!! इस नम्बर से हमे call आयी थी..क्या हम रितु से बात कर सकते हैं?” मैंने गला साफ करते हुए कहा। तेज जयकारे लगाने से मेरा गला बैठ गया था और बमुश्किल आवाज निकल पा रही थी।
“बेटा, रितु तो यहां नही है..आप कहाँ से हो?” उन्होंने शालीनता पूर्वक कहा।
हमने अपना पता नही बताया साथ ही ये भी नही बताया कि हम उससे बात क्यों करना चाहते हैं।शायद इसका उत्तर हमे भी नही पता था। सही है..भला हम एक अनजान लड़की से बात क्यों करना चाहते हैं ?
“आंटी जी!!रितु से जरूरी बात करनी थी…” मैंने बस इतना ही कहा।
“आप उसे कैसे जानते हो?”उन्होंने वह पूछा जिसका हमे अंदेशा था।
रवी का मूड खराब हो रहा था लाइन पर यदि महिला की जगह कोई पुरूष होता तो अभी तक वह उसे गरिया चुका होता।
“जी फ्रेंड हैं…”मैंने खुद को नियंत्रित करते हुए कहा।
“अच्छा!!लखनऊ से हो!!”
“जी!”मैंने बस इतना ही कहा। कभी कभी एक छोटा सा शब्द बोल देना भी हालात सम्भाल देता है।
“अच्छा बेटा.. जैसे ही रितु कालेज से आएगी, मैं उसे बोल दूंगी”।
Ok.. thanks आंटी जी!! “मैंने कहा और फोन कट कर दिया।
“लखनऊ से क्या कनेक्शन है? “रवी उलझन में था।
“क्या पता!! शायद उसके साथ पढ़ने वाले दोस्त होंगे।”
हमे नही मालूम था कि लखनऊ में उसका कौन दोस्त या रिश्तेदार रहता है।हमे तो ये भी नही मालूम था कि वह कहां रहती है। हम उस शाम अपना-अपना दिमाग उसका “लखनऊ कनेक्शन” खोजने में खपाते रहे।
★★★
अगले कई दिन उससे बात नही हो सकी। हमारा इंतजार अब भी जारी था। उम्मीदें, उसकी बातें और वह खुद हमे उसे भूलने नही दे रही थीं। इसी कशमकश में दिन गुजरते रहे।
#1_अप्रैल
◆◆◆
सड़क वही थी, शाम भी वैसी ही थी बस तारीख बदल गयी थी। पिछले 1 सप्ताह से हमने उसका नम्बर मिलाना कम कर दिया था। शायद सब्र भी यह महसूस करने लगा था कि यह समय की बर्बादी है।
आज न चाहते हुए भी मैंने वह नम्बर फिर try किया। दरअसल मैं कॉन्टेक्ट्स चेक कर रहा था उसका नम्बर मैंने A नाम से save कर रखा था। कॉन्टेक्ट्स में सबसे पहला नम्बर उसी का दिखा और मैं उंगलियों को उसका नम्बर मिलाने से रोक नही सका।
बेल जा रही थी।
“Hello!!”उसी महिला की आवाज थी जिससे हमने पिछली बार बात की थी।
“नमस्ते आंटी जी!! रितु से बात करनी थी..”मैंने डरते हुए कहा।मुझे उम्मीद नहीं थी कि नम्बर मिल जाएगा।
“बेटा, वह तो लखनऊ में है… तुमने कुछ दिन पहले भी कॉल किया था न!!” उन्होंने कहा।
“जी आंटी!! लखनऊ में रितु को कोई काम था क्या?? “मैंने आखिर पूछ ही लिया।
“बेटे,लखनऊ उसकी ससुराल है… आप कहां से हो??
फोन का स्पीकर खुला था।
“ससुराल”यह शब्द हम दोनों ने सुना।
“अप्रैल फूल डे की शुभकामनाएं…मित्र”
हम दोनों की नजरें एक-दूसरे से कह रही थीं।
“कहाँ से हो आप?”फोन से आवाज आ रही थी।
हमने कोई जवाब नही दिया।रवी ने मुझसे फोन लिया।
“Wrong number…” रवी ने सीधे सपाट लहजे में कहा और फोन काट दिया।
मैंने उसी वक्त उस नम्बर को कांटेक्ट लिस्ट से हमेशा के लिए डिलीट कर दिया। यह अलग बात कि दिमाग के किसी कोने में उसका नम्बर अब भी save था।
खैर उसे भुलाने का कोई जरिया मेरे पास नही था सिवाय इसके कि मैं कल्पना कर लूं कि वह लड़की 35 साल की मोटी-भद्दी महिला है और जिसके 2 दर्जन बच्चे हैं।
आखिर हमे समझ आ गया कि 1 jan की वह फोन कॉल सिर्फ एक “flirt call”थी जिसका उद्देश्य मन बहलाना भर था।खैर हमने एक दूसरे को फिर से अप्रैल फूल डे की शुभकामनाएं दीं और घर लौट आये।
लेखक : भूपेंद्र सिंह चौहान
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#Disclaimer-कहानी के कुछ हिस्से काल्पनिकता के आधार पर गढ़े गए हैं।
आपने वाकई बहुत बेहतरीन रचना की, great.
जी आभार?????