75th Republic Day

75 वां गणतंत्र दिवस

 

गणतंत्र दिवस की वैला पर आत्मा का “प्रदीप” जला ले ।।ध्रुव॥
गणतंत्र दिवस पर्व पर मन का भार मिटा ले ।
सदा सहजता से जीकर जीने का सार निकाल ले ।
हम स्वयं अपने भाग्य विधाता सुख दुःख के निर्माता ।
हम अपने त्राणों से हमारी स्वयं की शरण के बने निर्माता ।
हमारी साँस – साँस में अभय अभय का संचार हो ।
धर्म ध्यान से भय के तम का पूर्ण विलय हो ।
जीवन रथ में बढ़ते हुए लक्ष्य शिखर चढ़ना है ।
आत्मा की शक्ति से ऊँचा बढ़ते जाना है ।
हार जीत का द्वंद छोड़ जीवन रथ को सही मोड़ दे ।
समता का अमृत पान पीकर शांति का द्वार खोल दे ।
निज कर्त्तव्य निभाते जाते फल का आग्रह हटाते जाये ।
शांति से प्राप्त परिणाम को सादर स्वीकार करते जाये ।
जो भी उपलब्ध होता उसमे रोष छोड़ तोष को स्वीकार करे ।
आनन्द का रूप अनोखा उसको सही से साक्षात्कार करे ।
अपने पर विश्वास बढ़ाकर आध्यात्मिक उल्लास जगाये ।
स्वयं बैध बनकर अपने अन्तर रोगों का उपचार करे ।
जहाँ होता आर्त्तध्यान का वास वहाँ होता अन्धेरा ।
जहाँ होता आध्यात्मिक रस का वास वहाँ होता सवेरा ।
गणतंत्र दिवस की वैला पर आत्मा का “प्रदीप” जला ले ।।ध्रुव॥

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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