कारगिल शौर्य गाथा | Kargil Shaurya Gatha
कारगिल शौर्य गाथा
( Kargil Shaurya Gatha )
1999 का वह काला दिन, हमला पाक ने कर,
लहू -लुहान कारगिल भू किया।
लेह लद्दाख के “द्रास”क्षेत्र में,
मचा दिया हाहाकार भयंकर।।
18 हजार फीट ऊॅंचाई पर,
छिड़ा महा भयंकर युद्ध।
विपरीत हालात मौसम के थे।
फिर भी लड़े ,वीर हमारे जी जान से। ।
” द्रास” सेक्टर के 5140 पॉइंट पर,
लेफ्टिनेंट जनरल योगेश जोशी के नेतृत्व में,
निकल पड़ी रणबांकुरों की टुकड़ी,
सीना ताने बम वर्ष के बीच।।
“ऑपरेशन विजय” के लिए,
जान हथेली पर ले, लड़े वीर मर्दाना।
छोड़ प्राणों का मोह,
कुर्बानी देदी निज की।।
अदम्य साहस का प्रदर्शन,
कैप्टन विजय बत्रा ने किया।
“टाइगर हिल” पर तिरंगा लहराया।
फिर सो गया, भारत माँ की गोद में सदा के लिए।।
दो माह तक चला युद्ध यह,
समाप्त 26 जुलाई को हुआ था।
जानें गंवाई 527 जवानों ने।
तब विजयमाला पहनी भारत माँ ने।।
26 जुलाई कारगिल विजय दिवस पर
वीरों की शहादत को सलाम हम नित्य करेंगे।
शौर्य और अभिमान का सूचक,
“कारगिल विजय दिवस” है बड़ा महान।
करता रग- रग में हिम्मत साहस का संचार।।
चंद्रकला भरतिया
नागपुर ( महाराष्ट्र. )
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