अरुणोदय | Kavita Arunoday
अरुणोदय
( Arunoday )
सूरज ने अरूणिम किरणों से
वातायन रंग डाला !
लगे चहकने पंछी नभ में
अनुपम दृश्य निराला !!
ताल तलैया नदी सरोवर
मिल स्वर्णिम रस घोले!
लगे चमकने खेत बाग वन
पुरवाई है डोले !!
देख विहंगम दृश्य प्रकृतिका
खिलने लगी हैं कलियां !
तरूके शिर्ष पर चान नाच कर
मनारहीं रगं रलियां!!
बालक बूढ़े जीव जंतु सब
आह्लादित हो जाते !
वसुधाचंल में ‘जिज्ञासु’जन
हैं सारे सुख पाते !!
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”