यही सच्चाई है जिंदगी की
यही सच्चाई है जिंदगी की
———-&&——
कभी दुखों का सैलाब तो
कभी खुशियों की बारिश है जिंदगी
कभी मां-बाप की डांट फटकार,
तो कभी लाड ,प्यार का एहसास है जिंदगी
कभी भाई बहन का झगड़ना तो
कभी प्यार ,हंसी-खुशी है ज़िंदगी,
कभी समाज की आलोचनाएं
तो कभी मिली प्रोत्साहन है जिंदगी,
कभी लोगों से मिला धोखा
तो कभी मिला सहारा है ज़िंदगी,
कभी अपनों का स्नेह प्यार
तो कभी अपनों की बंदिशें है जिंदगी,
कभी अपने में अपनापन नहीं
तो कभी पराए में मिला अपनापन है, जिंदगी
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218