मां की वेदना
मां की वेदना

मां की वेदना

 

मां कोख में अपने

खून से सींचती रही।

 

अब तुम बूंद पानी

 देने को राजी नहीं।

 

मां थी भूखी मगर

भरपेट खिलाती रही।

 

अब तुम इक रोटी

देने को राजी नहीं।

 

 मां थी जागती रात भर

 गोद में सुलाती रही।

 

 अब तुम इक बिस्तर

 देने को राजी नहीं।

 

 तुम्हारे रोने पे दूध

 ममता से पिलाती रही।

 

 अब तुम दूध का क़र्ज़

 निभाने को राजी नहीं।

 

मां आसरे में बुढ़ापे का

बैसाखी पालती रही।

 

अब बेटा बैशाखी सहारा

देने को राजी नहीं।

 

 मां सबको अपनी

 वेदना सुनाती रही।

 

 फिर भी कोई सुनने

 को नागा राजी नहीं।

 

 

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Dheerendra

लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा

(ग्राम -जवई,  पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )

उत्तर प्रदेश : Pin-212218

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