करो जन गण मन का गान
करो जन गण मन का गान
देश हमारा शरीर है
तिरंगा मेरी जान
बुरा लब्ज जो बोलेगा
हर लूंगा उनका प्राण
करो जन गन मन का गान ।
मेरी सहिष्णुता को समझते
आया है निर्बल काया ,
अब तक तो हम सबको था
भाईचारे का माया
उनको भी न देना है
अब थोड़ा-सा सम्मान
करो जन गण मन का गान ।
कितनी जानें गई हमारी
फिर भी ऊफ ना बोले हैं
ये सबूत है वीरों की
जिनके तन में शोले हैं
हमको अपने देश से प्यारा
नहीं है अपनी जान
करो जन गण मन का गान ।
पहले बातों से समझाना है
कहेंगें उनको बाबू भैया
जब ना वो मानेंगे तब
तोड़ना है जीवन की नैया
सज्जनता हमारी बहुत हुई
अब देश द्रोहियों की नहीं चलेगी दुकान
करो जन गण मन का गान
करो जन गण मन का गान ।
रवीन्द्र कुमार रौशन “रवीन्द्रोम”
भवानीपुर, सिहेंश्वर, मधेपुरा , बिहार