टिकने नहीं देते चोटी पर

( Tikne nahi dete choti par ) 

 

मेहनत लगन हौसला ही प्रगति का आधार मिला।
बुलंदियों का आसमां हसीं उन्नति का सिलसिला।

काबिलियत हूनर हारे सवाल खड़ा हो रोटी पर।
घात लगाए बैठे लोग टिकने नहीं देते चोटी पर।

शब्दों का जादू चल जाए कीर्ति पताका जग लहराए।
कलमकार वाणी साधक लेखनी ले ज्योत जलाए।

जो धन के प्यासे बैठे नजर गड़ाए रकम मोती पर।
शब्द सुधारस भरे समंदर टिकने नहीं देते चोटी पर।

जो मन के सीधे सच्चे हैं जो मनमौजी मतवाले हैं।
मुस्कानों के मोती बांटे जो सद्भाव भरे दीवाने हैं।

त्याग समर्पण की मूरत ध्यान न देते बात छोटी पर।
अदम्य साहसी वीरों को टिकने नहीं देते चोटी पर।

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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