नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) चतुर्थ दिवस
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) चतुर्थ दिवस
भुवाल माता तार दो तार दो हमको , माता तार दो ।
राग – द्वेष का पर्दा हमारे नयनों के आगे छाया ।
भव भ्रमण की ठोकरें खाकर भी हम सम्भल नहीं पाये ।
भुवाल माता तार दो तार दो हमको , माता तार दो ।
संसार में घूम घूम कर देखा हमने सार कुछ नहीं आया ।
मोह जाल में ऐसे उलझे सुलझ फिर नहीं पाये ।
भुवाल माता तार दो तार दो हमको , माता तार दो ।
जो भी आया चरण शरण में माता ने पार लगाया ।
दिन दयालु माता दया करो अब हमारा नम्बर आया ।
भुवाल माता तार दो तार दो हमको , माता तार दो ।
मन करता माता तेरी भक्ति के गीत दिन और रात गाऊं ।
माता तिराओ हमारी नैया तेरा ध्यान लगाये ।
भुवाल माता तार दो तार दो हमको , माता तार दो ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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