ईश्वर

ईश्वर: एक अदृश्य शक्ति का सजीव अनुभव

ईश्वर, एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हमारे भीतर शांति और सुकून की अनुभूति होती है। यह महज़ एक नाम नहीं, बल्कि एक ऐसी दिव्य शक्ति है, जो सब कुछ नियंत्रित करती है, सब कुछ संभालती है। ईश्वर किसी एक विशेष रूप में सीमित नहीं है। वह कण-कण में व्याप्त है, हर जीव, हर वृक्ष, हर नदी और हर आकाश की शांति में महसूस किया जा सकता है।

ईश्वर का सर्वत्र होना

ईश्वर को हम मंदिरों में ढूंढते हैं, मस्जिदों में महसूस करते हैं, गिरजाघरों में प्रार्थना करते हैं, लेकिन सच कहा जाए तो ईश्वर हर जगह हैं। वह कहीं दूर नहीं, बल्कि हमारे भीतर हैं। हमारे हर कार्य में, हमारी हर सोच में, हमारी हर भावना में ईश्वर का निवास है। हम अक्सर उसे ढूंढते हुए दुनिया के कोने-कोने में जाते हैं, लेकिन अगर ध्यान से देखें तो वह हमारे दिल की धड़कन में मौजूद हैं।

ईश्वर का कोई रूप नहीं

ईश्वर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उनका कोई एक रूप नहीं है। कुछ उन्हें मूर्तियों में पूजते हैं, कुछ उन्हें अनदेखी शक्ति मानते हैं, तो कुछ उनके नाम में सच्चाई की तलाश करते हैं। परंतु असल में, ईश्वर रूप और नाम से परे हैं। वह हमारी श्रद्धा और विश्वास में बसते हैं। उनके लिए कोई एक रूप तय नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह हर रूप में, हर भावना में, हर विचार में समाहित हैं।

ईश्वर और मानव संबंध

ईश्वर और मानव का संबंध अनादि काल से बना हुआ है। यह संबंध मात्र भय और नियमों पर आधारित नहीं है, बल्कि यह प्रेम और आस्था का अटूट बंधन है। जब हम अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं, तब हमें लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति हमारी मदद कर रही है। यही शक्ति ईश्वर की है। जब हम टूटने के कगार पर होते हैं, तभी भीतर से एक आवाज़ उठती है – “सब ठीक होगा।” यह आवाज़ ईश्वर की ही होती है, जो हमें निरंतर सहारा देती है।

ईश्वर की ओर जाने का मार्ग

ईश्वर को पाने के लिए किसी विशेष कर्मकांड की आवश्यकता नहीं है। उनके निकट जाने का मार्ग सीधा और सरल है – सच्चाई, प्रेम और सेवा। जब हम सच्चाई से जीते हैं, दूसरों से प्रेम करते हैं और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं, तब हम ईश्वर के निकट होते हैं। ईश्वर का आशीर्वाद उन पर सदैव बरसता है, जो दूसरों के लिए अच्छा करते हैं, बिना किसी स्वार्थ के।

ईश्वर की शक्ति

ईश्वर की शक्ति असीमित है। वह जन्म और मृत्यु के बंधनों से परे हैं। वह हमारे कर्मों का हिसाब रखते हैं, लेकिन सज़ा देने के लिए नहीं, बल्कि हमें सही मार्ग दिखाने के लिए। उनकी शक्ति हमें प्रेरित करती है कि हम अपने जीवन को सार्थक बनाएं। ईश्वर वह स्रोत हैं, जहां से हम अपनी आत्मिक ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

सच्चे ईश्वर की अनुभूति

ईश्वर की अनुभूति कोई बाहरी क्रिया नहीं है। यह एक आंतरिक यात्रा है। जब हम अपने मन को शांत कर लेते हैं, तब हमें अपने भीतर ही ईश्वर का अनुभव होता है। वह हमारी चेतना के सबसे गहरे स्तर पर हैं, जहां कोई बाहरी वस्तु या विचार प्रवेश नहीं कर सकता। यह अनुभव सिर्फ ध्यान और आत्म-निरीक्षण से संभव है। जब हम संसार के शोर-शराबे से दूर होकर अपने भीतर की आवाज़ सुनते हैं, तब हमें ईश्वर की उपस्थिति का अहसास होता है।

प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”

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