करवा का चाँद

करवा का चाँद

करवा का चाँद
गगन और आँगन मे तो आया
तेरी और मेरी आँखो में कभी आया ही नहीं
छन्नी के उस पार जाती हुई धुंधली नजर में

मैने तुम्हे कैद कभी किया ही नहीं
तुम कैद कभी हुए नहीं
करवा का चाँद
गगन और आँगन मे तो आया
तेरी और मेरी आँखो में कभी आया नहीं
आँखो में कभी आया ही नहीं
करवा का चाँद…

चौहान शुभांगी मगनसिंह
लातूर महाराष्ट्र

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