
ये मुल्क हमारी जान
( Ye mulk hamari jaan )
एक दिन भी निभा नही सकेंगे हम जैसा किरदार
पर आज वही लोग हम को मशवरे देते है हजार।
उंगली पर लगी हुई स्याही केवल निशानी नही है
हमारी शान व देश की पहचान, लोकतंत्र यही है।
देश मना रहा गणतंत्र दिवस लोकतंत्र देता संदेश
हर एक जुबाँ पे यही नाम महान मेरा भारत देश।
उत्तम संविधान भारत का लगता है शहद समान
राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत का करते सब मान।
समय गुजरता जा रहा किसका कैसे करें बखान
यहां जवान शहीद हो रहें खेत में मर रहे किसान।
जमाना दिवाना कोई अपनो का कोई बेगानो का
घरवाली बाहरवाली का लेकिन हम वसुंधरा का।
ये मुल्क हमारी जान इस पर दिल हमारा कुर्बान
हमारे में जब तक है जान रक्षा करेंगे हम जवान।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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