आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर
आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर

आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर

( Aa gulistan mein milne ko aaj too fir )

 

आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर
आ करे दोनों उल्फ़त की गुफ़्तगू फ़िर

 

प्यार की नजरें निहारुं आज तुझको
आ बैठे इक दूसरे के रु -ब -रु फ़िर

 

ये निगाहों पे असर कैसे छाया है
वो नजर आये है सूरत कू -ब -कू फ़िर

 

छोड़ दें नाराज़गी दिल से सनम अब
प्यार के लें लें मुझसे तू गुलू फ़िर

 

पास मेरे बैठ तू दीदार कर लूँ
लग रही है चाँद सी तू हू -ब- हू फ़िर

 

हम सफ़र “आज़म” बना मेरा नहीं जो
उठ रही दिल में ही उसकी आरजू फ़िर

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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