Ghazal | आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर
आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर
( Aa gulistan mein milne ko aaj too fir )
आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर
आ करे दोनों उल्फ़त की गुफ़्तगू फ़िर
प्यार की नजरें निहारुं आज तुझको
आ बैठे इक दूसरे के रु -ब -रु फ़िर
ये निगाहों पे असर कैसे छाया है
वो नजर आये है सूरत कू -ब -कू फ़िर
छोड़ दें नाराज़गी दिल से सनम अब
प्यार के लें लें मुझसे तू गुलू फ़िर
पास मेरे बैठ तू दीदार कर लूँ
लग रही है चाँद सी तू हू -ब- हू फ़िर