आंचल की छांव
आंचल की छांव

आंचल की छांव

( Aanchal ki chhaon )

 

वात्सल्य का उमड़ता सिंधु
मां  के  आंचल  की  छांव
सुख  का  सागर  बरसता
जो  मां  के  छू  लेता  पांव

 

तेरे  आशीष  में  जीवन  है
चरणों  में  चारो  धाम  मां
सारी दुनिया फिरूं भटकता
गोद  में  तेरे  आराम  मां

 

मेरे  हर  सुख  दुख  का
पहले  से  एहसास  मां
संस्कार दे भाग्य बनाया
तुम कितनी हो खास मां

 

कैसे करूं उपेक्षा तेरी
तूम मेरा विश्वास मां
जीवन का दिव्य ज्ञान
अलौकिक प्रकाश मां

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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