आई मस्त बहारें
( Aayi mast baharen )
लो आई मस्त बहारें,
गली-गली द्वारे द्वारे।
सावन के झूले लगे,
झूम झूम नाचे सारे।
हर हर महादेव,
हे सब देवों के देव।
जग के है करतार,
वो भोलेनाथ हमारे।
सावन बरसे पानी,
रिमझिम झड़ी लगे।
घटाएं गगन छाए,
मस्तानी चले बयारें।
उर उमंगे उमड़े,
खुशियों की बरसात।
बहे झरना प्रेम का,
महके चमन सारे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )