Kitne kar chukaye
Kitne kar chukaye

कितने कर चुकाये

( Kitne kar chukaye )

 

आयकर खाय कर खरीद कर पक गए
आम आदमी यहां कर चुकाते थक गए

 

भूमिकर मकान कर संग दुकान कर दे दिया
कितना कमाया उसका भी कर ले लिया

 

खरीद कर बेच कर सेवा कर रुक गए
कितने कर चुकाये कर चुकाते थक गए

 

वाहन कर वहन कर ईंधन भी जलाय कर
बिजली-पानी पेट्रोल उदर भोजन खाय कर

 

उत्पादन से उपभोग सीढ़ियों तक भी गए
कितने कर चुकाये कर चुकाते थक गए

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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