Kavita Jaago Janta Jaago
Kavita Jaago Janta Jaago

जागो जनता जागो!

( Jaago janta jaago) 

 

घंटों इंतजार क्यों करते हैं?
सर्दी गर्मी बारिश सहते हैं
पलकें बिछाए रहते हैं
आप जनता मालिक हैं।
लूटने वाले का जयकारा
लुटने वाले ही लगाते हैं
यह ठीक नहीं।
दुर्भाग्य वतन का औ
सौभाग्य राजवंशों का?
लोकतंत्र हो आया,
पर हकीकत बदल न पाया।
अशिक्षा गरीबी मूल वजह
दूर करने को न दें तवज्जो…
राजनेता होशियार!
लोकलुभावन भाषण दे उलझाए
मिल बांटकर रबड़ी सत्ता की
हैं उड़ाए जाए
निरीह जनता के हाथ में ‘अ बिग जीरो’ आए!
ऐसा कैसे चलेगा?
कब तलक चलेगा?
उत्तर स्वयं दें आप!

लेखकमो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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