अतुकांत और छंद विहीन कविता

अतुकांत और छंद विहीन कविता एक ऐसी कविता होती है जिसमें कोई निश्चित तुक या छंद नहीं होता है। यह कविता अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होती है और इसमें कोई निश्चित रूप या पैटर्न नहीं होता है।

अतुकांत कविता की विशेषताएं:

  1. तुक की अनुपस्थिति
  2. छंद की अनुपस्थिति
  3. स्वतंत्र रूप
  4. भावनाओं की अभिव्यक्ति
  5. विचारों की स्वतंत्रता

छंद विहीन कविता के उदाहरण:

  1. सूर्य की पहली किरण से जगमगाता है जीवन
    एक नई उमंग, एक नई आशा
  2. मेरी आत्मा में बसा है एक संगीत
    जो गूंथता है मेरे विचारों को
  3. मैं खो जाता हूं अपने विचारों में
    एक अनंत सागर में जहां न कोई किनारा है, न कोई

अतुकांत कविता के लाभ:

  1. स्वतंत्रता की भावना
  2. विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  3. भावनाओं की गहराई
  4. पाठक की कल्पना को बढ़ावा
  5. कवि की अपनी शैली की विकसित करने का अवसर

अतुकांत कविता के नुकसान:

  1. समझने में मुश्किल
  2. तुक और छंद की अनुपस्थिति से कविता की लय और संगीतता की कमी
  3. पाठक को कविता की व्याख्या करने में मुश्किल हो सकती है
    आपकी क्या रॉय है?
    क्या अतुकांत को कविता कहलाने का अधिकार है?
    क्या अतुकांत लेखन सही हैं?
    क्या अतुकांत रचनादधर्मी लोगों को यह लेखन जारी रखना चाहिए?
    क्या आज के समाज में निराला, नागार्जुन जैसे कवियों द्वारा चलाई गई इस परंपरा का कोई सम्मान हैं?
    अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराएं.
मैं हूँ दीपक एक बदनाम सा

डाक्टर दीपक गोस्वामी मथुरा
उत्तरप्रदेश , भारत

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