क्या कुछ ठीक नहीं हो रहा है ! ऐसा नहीं है लेकिन इंगित तो वहीँ किया जाएगा जहांँ चलते – चलते अगर गाड़ी पंचर हो रही है, तो पंचर होने के कारणों को जाना  जाएगा ।

पंचर सुधारे जाएंँगे या स्टेपनी  ही चेंज की जाएगी ,तभी रफ्तार सही रहेगी। 10% इंडिया  के साथ जो 90% भारत  है , साथ लेना पड़ेगा, संतुलन बनाना होगा, तभी  सही मायनों में विकास की ऊँची -ऊँची  पायदान  पर चढ़ना हकीकत लगेगा, नहीं तो डिजिटल लाइफ में बहुत फतांसी है दिल बहलाने के लिए ।

‘कोई भी इमारत मजबूत नहीं होती जब तक बुनियाद मजबूत न हो ‘ देखना होगा कि ‘ इंडिया के चमकीले रैपर में बसा ये भारत और हिंदुस्तान कितना रोशन है “!

अनगिनत विसंगतियों, महिलाओं/ बच्चों के विरुद्ध अपराध के बढ़ते आंकड़े और अव्यवस्थाओं के साथ भारत के चमकने के भ्रम का यह विरोधाभास !! जोंक की तरह ये सभी मुद्दे खोखला कर रहे हैं, जड़ से हटा देने की ज़रुरत है, प्रयास सभी का , सभी के द्वारा और सभी के लिए। तभी भारत रेंगने और चलने की जगह दौड़ पायेगा। वैसे ये तो झांँकी है, पिक्चर अभी बाकी है।
द इंडियन
हम भारतवासी
आइए देखें।

अनुपमा अनुश्री

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संपादकीय बाल विश्व

 

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