खुद को पर्फेक्ट के बजाय बेहतर बनाने की कोशिश करें
खुद को पर्फेक्ट के बजाय बेहतर बनाने की कोशिश करें

खुद को पर्फेक्ट के बजाय बेहतर बनाने की कोशिश करें । हमेशा महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वह हर काम में परफेक्ट हो हर बात में सही बात अपनाएं और जिम्मेदारी से हर मोर्चे पर एक बेहतरीन आदर्श प्रस्तुत करें ।

महिलाएं खुद भी खुद को परफेक्ट बनाने और अपने से जुड़े हर लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए लगातार कोशिश करती रहती हैं पर इस वजह से उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है । अब जरूरत किया है कि खुद के प्रति अपने नजरिये में बदलाव लाया जाए ।

हर महिला और हर इंसान को चाहिए कि वह परफेक्ट बनाने की कोशिश करने के बजाय खुद को बस बेहतर बनाने की लगातार कोशिश करे । हमेशा आदर्श और परफेक्ट बनने की चाहत के बजाय बेहतरी की राह पर चलने के लिए सोचे ।

वैसे भी खुद को पूरी तरीके से आदर्श व्यक्तित्व बनाने के बजाय बेहतर बनने और खुद को संवारने की कोशिश करें तो ज्यादा अच्छा होगा । कोशिश करें कि अपने आपको हर तरह से और अपने आज को बीते हुए कल से बेहतर बनाएं  साथ ही आने वाले  कल को बेहतर बनाने की बुनियाद भी रखें ।

ऐसे प्रयास करने से परफेक्शन के पहलू पर सोचने के नहीं बल्कि जिंदगी  के सफर को जी भर कर जीने का जरिया बनाने की कोशिश करें  । कुछ ऐसा नजरिया खुद के अंदर विकसित करना होगा । हम अक्सर खुद को इमपरफेक्ट समझ कर  एक और सबसे बड़ी गलतियां कर देते हैं दूसरे को परफेक्ट समझने की ।

जबकि सच्चाई यह होती है कि कोई भी इंसान पूरी तरीके से परफेक्ट नहीं होता  । इसलिए अपने को व्यस्त रखे और ऐसे किसी विचार को अपने मन में ना आने दे क्योंकि यह विचार आपके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को चोट पहुंचाता है ।

हमेशा खुद के प्रति सकारात्मक विचारों के साथ मजबूत रहें और इस बात की परवाह भी ना करें कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं । ऐसी सोच हर पहलू पर आपका अपना काम ही  बिगाड़ा ही करते हैं । हर इंसान में कुछ ना कुछ खास जरूर होता है और कोई भी इंसान आदर्श व्यक्तित्व का धनी नहीं हो सकता ।

इसलिए अपनी खासियत को  कायम रखें और परफेक्ट होने से ज्यादा कोशिश यूनीक बनाने की और खुद को बेहतर बनाने की । कहावत की यह बात बिल्कुल सच है कि आप बहुत सारी चीजों में परफेक्ट नहीं है लेकिन यह भी उतना ही सच है क्यों बहुत सारी चीजें आपके बिना परफेक्ट नहीं है ।

इसलिए अपने आप को स्वीकार कीजिए । अपनी जिंदगी की खुशियां बटोरने के लिए अपने बारे में अच्छा महसूस करने की आदत बनानी होगी । खुद को जानने और स्वीकार करने के भाव के प्रति सहज रहना होगा । भीतर और बाहर चाहे जैसे भी हो अपने आप पर से नकारात्मक विचारों को हटाने की कोशिश करें ।

जरूरी नहीं है कि आप जो करें उसमें कामयाब ही रहे लेकिन जो भी कुछ कर रही है उसे मन से कीजिए । अपनी खास भूमिका को इंजॉय कीजिए अनुभव बटोरिये और आगे बढ़ते रहिये । खुद को परफेक्ट बनाने के लिए अपने वास्तविक स्वभाव को मत बदलिए ।

हमेशा इस बात को ध्यान रखें कि बिना किसी दबाव के जीना अपने जैसा होना ही आपको सच्ची खुशी दे सकता है । अपनी खुशियों की उम्मीद किसी दूसरे पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि कई बार हमारा मन इस बात से दुखी हो जाता है कि हम जिस इंसान से उम्मीद लगाए थे उसे पर्फेक्ट समझे थे वह इंसान तो कुछ और ही है उसमें कई कमियां दिखने लगती है तो हम हैरान और परेशान हो जाते हैं ।

जबकि हमें यह समझना चाहिए कि कोई भी इंसान पूरी तरीके से परफेक्ट नहीं होता है लेकिन यह सब जानते हुए भी हम अपने जीवन साथी, दोस्तों, रिश्तेदारों और आस-पड़ोस में उनके परफेक्ट होने की उम्मीद लगा बैठते हैं और नतीजा हमारी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं ।

हमारे मन में उस खास शख्स के प्रति एक विशेष छवि बन जाती है और कोई भी इंसान किसी एक खांचे में फिट नहीं हो पाता । कई बार समय और हालात भी इंसान को बदल देता है । इन बातों को स्वीकार करना चाहिए ना तो खुद को परफेक्ट बनाने की सोचना चाहिए ना ही दूसरों को दूसरों से परफेक्ट होने की उम्मीद रखनी चाहिए जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए तभी इंसान खुश रह सकता है ।

लेखिका : अर्चना 

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