Hindi kavita | Hindi Diwas Poem -और हिन्दी
और हिन्दी
( Aur Hindi )
संस्कृत प्राकृत से पाली स्वरूप धरि,
अब देवनागरी कहावति है हिंदी।
छत्तीस रागिनियों के बारह सुर गाइ गाइ,
चारि मिश्रित वर्ण सुहावति है हिन्दी।।
आगम -निगम के गूढ़ तत्व कहि कहि,
ब्रह्म से जीव को मिलावति है हिंदी।
भारत महान की आन बान शान बनि,
नभ तक अंचरा लहरावति है हिन्दी।।
अवधी ब्रज मगही बुंदेली मैथिली कन्नौजी,
तान भोजपुरिया सुनावति है हिन्दी।
हिमालय ललाट गंगा यमुना जलोढ़ पाट,
विन्धय तक केश विखरावति है हिन्दी।।
मालवा दकन कन्याकुमारी के कोमल चरण,
हिंद महासिंधु से धोवावति है हिंन्दी।
सप्तद्वीप धरती पर राज करति,
शेष प्राच्य मानचित्र देखावति है हिंदी।
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कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-बहेरा वि खं-महोली,
जनपद सीतापुर ( उत्तर प्रदेश।)
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