मुहब्बत की वो मुझसे ले गया अपनी निशानी है
मुहब्बत की वो मुझसे ले गया अपनी निशानी है

मुहब्बत की वो मुझसे ले गया अपनी निशानी है

( Muhabbat Ki wo Mujhshe Le Gaya Apni Nishani Hai )

 

मुहब्बत की वो मुझसे ले गया अपनी  निशानी है
अधूरी प्यार की ही रह गयी दिल में कहानी है

 

वही करता नहीं रिश्ता मुहब्बत का क़बूल मेरा
यहां तो जिस लिए दिल में मुहब्बत की रवानी है

 

गया जो तोड़ उल्फ़त के सभी वादे वफ़ाओ को
उसी की याद दिल से ही सभी अपनें मिटानी है

 

नहीं जो चाहता है गुफ़्तगू करनी मुहब्बत की
उससे उम्मीद क्या अब प्यार की यारों  लगानी है

 

वफ़ायें क्या मुहब्बत क्या  करेगा वो भला मुझसे
मुहब्बत की हंसी मेरी उसे यूं ही उड़ानी है

 

दग़ा वो कर रहा वादे वफ़ा पे रोज़ ही अब तो
उसे रस्में मुहब्बत की क्या मुझसे ही निभानी है

 

लगा है वो गिले शिकवे करने में ही मगर मुझसे
हाले दिल क्या उसे ही गुफ़्तगू आज़म सुनानी है

 

️❣️शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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