अधुरा प्यार
अधुरा प्यार

अधुरा प्यार

( Adhura Pyar )

 

 

निचोडों  ना  हृदय  मेरा,  यहाँ  यादें  हमारी  हैं।
सुहानें दिन के कुछ लम्हें, तुम्हारे संग हमारी है।

 

चले जाना है तो जाओ,मगर ये याद रखना तुम,
हमारे ना हुए  हुंकार पर,तुम्हारी यादें हमारी हैं।

 

अधुरा प्यार है शायद, वफा आँखों से बहता है।
दबा हुंकार बनके हूंक, दिल से आज कहता है।

 

कही कुछ तो कमी  होगी, हमारे  या तुम्हारे  में,
हमारे क्यो हुए ना तुम, ये  दिल बेचैन  रहता है।

 

मिलन के संग जुदाई खेल,किस्मत का सदा से है।
तपी राधा विरह में प्रीत पर,कान्हाँ की किस्मत है।

 

जुदाई का जहर तो, राम  संग  सीता ने भी झेला,
हमारी प्रीत भी अन्जान पर, किस्मत का खेला है।

 

इसी से कह रही हूँ मै,  निचोडों   मत  हृदय मेरा।
गुँथा है शब्दों को मैने, कि  जैसे  श्याम .की मीरा।

 

युगों तक वैष्णवी बन कर,सजोया राम को मन में,
प्रणय के बिन सुनों हुंकार,जीना भी है क्या जीना।

 

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

??शेर सिंह हुंकार जी की आवाज़ में ये कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे

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