गर्मी की छुट्टी
( Garmi ki chutti )
लो गर्मी की छुट्टी आई टीचर छात्र सबको भाई।
सैर सपाटा चले मसूरी वादियों में फोटो खिंचवाई।
धूम धड़ाका खूब मस्ती हल्ला गुल्ला हुआ भारी।
खेल-खेल में मौज मना हाथी घोड़े की हुई सवारी।
मनमर्जी घोड़े दौड़ाए कोई अड़चन बीच ना आए।
सपनों को पंख लगाए नई उड़ाने हम भर जाए।
नाना नानी के घर जाए छुट्टियों का लुत्फ उठाएं।
आइसक्रीम के मजे लूटे हंसी ठहाके हम बरसाए।
रचे कोई खेल निराला हो ना जाए गड़बड़ झाला।
बस धूप का ध्यान रखें बीमारी से पढ़े न पाला।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )