बाल कविता | Bal kavita
चिड़िया रानी
( Chidiya rani )
चिड़िया रानी हमारे घर पर आई
सब बच्चों के मन में खुशियां लाई।
दूब फूंस इकट्ठा कर बनाया घोंसला,
देख घोंसला खुशियां अपार है लाई।
छत के अन्दर डाल घास और तिनके
सुन्दर सुन्दर बना दिया करी चतुराई।
अण्डे देती दो तीन देख रहे थे नजरभर,
हाथ लगा कर देखा तो तरकीब लगाई।
कब बच्चे निकलेंगे कर सोच विचार,
हर रोज देख रहें कर रहे दिल लगाई।
मौज मस्ती में आकर हंसते खेलते,
आए बच्चे बाहर अण्डो से करी चिरचिराई।
बोल रहे हैं सब बच्चे चहक रही अंगिया,
महक रहे फूल बच्चों की आ रही चहचाई।
खान मनजीत मोहब्बत कर परिंदों से,
इनके बगैर जग में कैसे हो असनाई।
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )
मेलगाड़ी
( Mail Gadi )
रेलगाड़ी आई है आप के पास,
एक दूसरे का पकड़ हाथ चला रहे साथ।
दूर तलक यह जायेगी
सबका संदेश लेकर आई है साथ ।
बच्चे घूम रहे हैं चारों ओर
फिर न कहना ना निभाया मेरा साथ ।
अलग-अलग वेशभूषा और पहनावा
मिलकर रहने का सन्देश देती है साथ ।
खान पान और संस्कृति सबसे अलग
रसना बसना फिर भी है एक साथ ।
होली की हुड़दंग, दीपावली का दीप
दोनों में फर्क नहीं मनाते सब एक साथ ।
ओणम हो या बैसाखी पोंगल या लोहड़ी
संस्कृति का फर्क मनाते सब एक ही साथ ।
खान मनजीत बच्चे खुश हो मुहीम ऐसी चलाओ,
प्रताड़ित ना करो खुले गगन में उड़ने दो एक साथ ।
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )
गर्मी की छुट्टी
( Garmi ki chutti )
लो गर्मी की छुट्टी आई टीचर छात्र सबको भाई।
सैर सपाटा चले मसूरी वादियों में फोटो खिंचवाई।
धूम धड़ाका खूब मस्ती हल्ला गुल्ला हुआ भारी।
खेल-खेल में मौज मना हाथी घोड़े की हुई सवारी।
मनमर्जी घोड़े दौड़ाए कोई अड़चन बीच ना आए।
सपनों को पंख लगाए नई उड़ाने हम भर जाए।
नाना नानी के घर जाए छुट्टियों का लुत्फ उठाएं।
आइसक्रीम के मजे लूटे हंसी ठहाके हम बरसाए।
रचे कोई खेल निराला हो ना जाए गड़बड़ झाला।
बस धूप का ध्यान रखें बीमारी से पढ़े न पाला।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )