बाल कविता

मन को भाता है कम्प्यूटर | बाल कविता

मन को भाता है कम्प्यूटर

(बाल कविता)

कम्प्यूटर एक अनोखी चीज़,
छोटे-बड़े सभी का अजीज़।

घर, बिजनिस, स्कूल और दफ्तर,
काम चले न बिना कंप्यूटर।

काम सभी ये झटपट करता,
बजे रेडियो, टीवी चलता।

इसमें फोटो, पेंटिंग, खेल,
कैलकुलेटर, वीडियो, मेल।

गाता गाने, है हर भाषा,
पूरी करता सबकी आशा।

गिनती में ये सबसे तेज,
तुरंत चिट्ठियाँ देता भेज।

इसमें दुनिया भर का ज्ञान,
इतिहास, गणित और विज्ञान।

नए दौर का टीचर ट्यूटर,
मन को भाता है कम्प्यूटर।

डॉo सत्यवान सौरभ

कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा

यह भी पढ़ें :-

डॉ. सत्यवान सौरभ के पच्चास चर्चित दोहे

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