बापू का हिन्दुस्तान | व्यंग्य रचना
बापू का हिन्दुस्तान
गंदगी से व्याप्त
एक गांव में
एक मंत्री का था दौरा!
उनका पी.ए
वहां पहुंचा दौड़ा -दौड़ा!
गांव के प्रशासन को
कुंभकर्णी नींद से जगाया!
और उन्हें —–और उन्हें
मंत्रीजी के इसी आशय का
एक पत्र पढ़कर सुनाया!
मंत्रीजी के पत्र ने
गांव के सुस्त प्रशासन को
चुस्त बनाया!
प्रशासन ने स्वच्छता का
अभियान चलाया!
अभियान के समय….
गांव के क्षुब्ध नागरिकों ने
नगर प्रशासन की
प्रशंसा करने की
बजाये अपना रोष जताया!
उन्हें खूब खरी खोटी सुनाया!
और… और कहा…
क्या मंत्रीजी?
इस गांव में आने वाले
एकमेव इंसान हैं
और गांव के सारे नागरिक
कीड़े -मकोड़े समान हैं?
मंत्रीजी के लिये
स्वच्छता का अभियान!
सर्व साधारण नागरिकों की
गंदगी से जाए भले ही जान
क्या यही है
बापू के स्वप्नों का हिन्दुस्तान?
जमील अंसारी
हिन्दी, मराठी, उर्दू कवि
हास्य व्यंग्य शिल्पी
कामठी, नागपुर
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